Tuesday, 18 November 2014

बस एक वक्त का खंजर मेरी तलाश में है..!!

बस एक वक्त का खंजर मेरी तलाश में है,
जो रोज़ भेष बदल कर मेरी तलाश में है।

मैं एक कतरा हूं मेरा अलग वजूद तो है,
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है ।

मैं देवता की तरह कैद अपने मन्दिर में,
वो मेरे जिस्म के बाहर मेरी तलाश में है।

जिसके हाथ में एक फूल देके आया था,
उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है..!!

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