Tuesday 7 July 2020

किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा..!!

किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा

कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा

काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा

किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा

देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा

और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा..!!

अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ..!!

अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ

फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ

मेरी गैरत भी कोई शय है कि महफ़िल में मुझे
उसने इस तरह बुलाया है कि जा भी न सकूँ

इक न इक रोज कहीं ढ़ूँढ़ ही लूँगा तुझको
ठोकरें ज़हर नहीं हैं कि मैं खा भी न सकूँ

फल तो सब मेरे दरख्तों के पके हैं लेकिन
इतनी कमजोर हैं शाखें कि हिला भी न सकूँ..!!

      

Friday 3 July 2020

बेवजह घर से निकलने की, ज़रूरत क्या है..!!

बेवजह घर से निकलने की,  ज़रूरत क्या है |
मौत से आंख मिलाने  की,  ज़रूरत क्या है ||

सबको मालूम है, बाहर की हवा है क़ातिल |
यूँ ही क़ातिल से उलझने की,   ज़रूरत क्या है ||

दिल बहलने के लिए, घर मे वजह हैं काफी |
यूँ ही गलियों मे भटकने की, ज़रूरत क्या है||

ज़िन्दगी एक नियामत, इसे संभाल के रख |
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ||

लोग जब हाथ मिलाते हुए कतराते हों|
ऐसे रिश्तों को निभाने की ज़रूरत क्या है ||

अपनी ही तरह से परेशान है हर कोई..!!

अपनी ही तरह से परेशान है हर कोई;
इस तपती धूंप के लिए कोई दरख़्त नहीं है;

किसी के पास खाने के लिये रोटी नहीं है;
और किसी के पास रोटी खाने का वक़्त नहीं है...!!