किसी रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ
लेना दोस्तों...
दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं परेशानियां बहुत
हैं...!!
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न कहा करो हर बार की हम छोड़ देंगे तुमको,
न हम इतने आम हैं, न ये तेरे बस की बात है…!!
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वफ़ा का नाम सुना था पुराने लोगो से....
हमारे दौर में शायद ये हादसा हुआ नही करता..!!
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चंद रुपयों मैं बिकता हैं यहाँ “इंसान का ज़मीर” कौन कहता हैं मेरे देश मैं महंगाई बहुत हैं..!!
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मैखाने मे आऊंगा मगर पिऊंगा नही साकी;
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती..!!
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तुम लौट के आने का तकल्लुफ मत करना;
हम एक मोहब्बत को दो बार नहीं करते..!!
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मोहब्बत-मोहब्बत की बस इतनी कहानी है;
इक टूटी हुई कश्ती और ठहरा हुआ पानी है;
इक फूल जो किताबों में कहीं दम तोड़ चुका है;
कुछ याद नहीं आता किसकी निशानी है..!!
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