Tuesday 21 January 2014

जिंदगी एक ख्वाब..!!



जिंदगी अगर ख्वाब है तो इसमें क्या बुरा है
आखिर ख्वाबो को भी हमने देखा है चलते हुए

वोह जो दूर से दीखता बन, सपना मुस्कुरा कर
आज हकीक़त बन बैठा है, बस रंग बदलते हुए

सपनो के पाव नहीं होते, तो भी चल जाते है
चुटकी बजाते ही बदल जाते है मुक़क्दर सोये हुए

चलना ही फितरत है अगर, तो फिर रुकना कैसा
गिर-गिर कर भी बढ़ जाते है , लोग यूँ संभलते हुए

कयास यह है की जीत होगी या फिर होगी हार
क्यों खेलते हो फिर पाँसे, धडकनों को डूबोये हुए

मैदाने जंग है जिंदगी, यु हकीक़त से क्या शर्माना
किले फतेह कर जाते है कुछ घुटनों पर चलते हुए

शुक्र है कुछ तो है पास तुम्हारे आज देने के लिए,
आशाये चलाती है जिंदगी, गमो को गले लगाते हुए

माना की सफ़र कठिन है और मंजिल भी है दूर
समय बदल ही जायेगा, यु ही करवट बदलते हुए..!!

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