ये दरवेशों कि बस्ती है यहाँ ऐसा नहीं होगा
लिबास ऐ ज़िन्दगी फट जाएगा मैला नहीं होगा,
शेयर बाज़ार में कीमत उछलती गिरती रहती है
मगर ये खून ऐ मुफलिस है महंगा नहीं होगा,
तेरे एहसान कि ईंटे लगी है इस इमारत में
हमारा घर तेरे घर से कभी उंचा नहीं होगा,
हमारी दोस्ती के बीच खुदगर्ज़ी भी शामिल है
ये बेमौसम का फल है ये बहुत मीठा नहीं होगा,
पुराने शहर के लोगों में एक रस्म ऐ मुर्रव्वत है
हमारे पास आ जाओ कभी धोखा नहीं होगा..!!
लिबास ऐ ज़िन्दगी फट जाएगा मैला नहीं होगा,
शेयर बाज़ार में कीमत उछलती गिरती रहती है
मगर ये खून ऐ मुफलिस है महंगा नहीं होगा,
तेरे एहसान कि ईंटे लगी है इस इमारत में
हमारा घर तेरे घर से कभी उंचा नहीं होगा,
हमारी दोस्ती के बीच खुदगर्ज़ी भी शामिल है
ये बेमौसम का फल है ये बहुत मीठा नहीं होगा,
पुराने शहर के लोगों में एक रस्म ऐ मुर्रव्वत है
हमारे पास आ जाओ कभी धोखा नहीं होगा..!!
Suparb Bro..
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