Saturday 25 May 2013

मुझे होश नहीं..!!



कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं है
रात के साथ गयी बात मुझे होश नहीं

मुझ को ये भी नहीं मालूम की जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं


आंसूंओं और शराबों में गुज़र है अब तो
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं


जाने क्या टूटा है पैमाना की दिल है मेरा
बिखरे बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं..!!

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