धंसती हुई क़ब्रों की तरफ़ देख लिया था
मां-बाप के चेहरों की तरफ़ देख लिया था
दौलत से मोहब्बत तो नहीं थी मुझे लेकिन
बच्चों ने खिलौनों की तरफ़ देख लिया था
उस दिन से बहुत तेज़ हवा चलने लगी है
बस, मैंने चरागों की तरफ़ देख लिया था
अब तुमको बुलन्दी कभी अच्छी न लगेगी
क्यों ख़ाकनशीनों की तरफ़ देख लिया था
तलवार तो क्या, मेरी नज़र तक नहीं उट्ठी
उस शख़्स के बच्चों की तरफ़ देख लिया था..!!
Great Shayari.
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