Saturday 25 May 2013

कब उसको भूल गए ये भी तो पता ना लगा..!!



वो बे-हिसी के दिन आये की कुछ हुआ ना लगा
कब उसको भूल गए ये भी तो पता ना लगा

बिछुड़ते वक़्त दिलासे ना खोखले वादे
वो पहली बार मुझे आज बे-वफ़ा ना लगा

जहां पे दस्तकें पहचान कर जवाब मिले
गुज़र भी ऐसे मकान से हो तो सदा ना लगा

ये देखने का सलीका भी किसको आता है
की उसने देखा मुझे और देखता ना लगा

वसीम अपने गिरेबान में झाँक कर देखा
तो अपने चारों तरफ कोई भी बुरा ना लगा..!!

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