हाल-ऐ-दिल अपना सुना लूँ तो चले जाना
तुमको हमराज़ बना लूँ तो चले जाना,
कब तलक छुपाउंगा अपनी उल्फात तुमसे
इकरार- ऐ-महोब्बत जो कर लूँ तो चले जाना,
शर्म-ओ-हया से रुख पर जैसे बिखरी ज़ुल्फ़े
उनको रुख पर में सजा लूँ तो चले जाना,
तेरे हुस्न पर फ़िदा है यहाँ दीवाने कई
तुम को नज़रो में छुपा लूँ तो चले जाना,
जाम बहोत पीये तेरी कातिल नज़रो से मैने
एक जाम तुजे होठों से पिला लूँ तो चले जाना,
एक मुद्दत से प्यासा हूँ में तेरी चाहत का
तुज को एक बार सीने से लगा लूँ तो चले जाना,
तुम मुझ को ही चाहो और दुनिया भुला दो
जादू ये इश्क का चला लूँ तो चले जाना,
तुम को दिल में बसा कर लिखी है यह “ग़ज़ल”
धीरे से उसको गुन-गुना लूँ तो चले जाना..!!
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